न जाने कितनी गोलियां सीने में ले जाते है,
बिना उफ़ किए सारे दर्द सह जाते हैं।
धन्य है वो माँ , जिसने जन्म दिया वीर जवानो को,
तू तो वीरगति को चला गया , पर छोड़ गया कई सवालों को...
बचपन मे बहुत वादे करता था ,बन कर रहूँगा साथी ।
न जाने कैसे सोता होगा वो भाई रात को,
तू छूता चला जा रा है सरहद के किनारों को।
रात के अँधेरे में हम सब सुकून से सो जाते है,
न जाने कितने जवान तब तक शहीद हो जाते है ।
ये दर्द वो बाप कैसे झेल जाता है,
अपने कंधे पर सर रख बेटे को अलविदा कह आता है ।
नन्हे - नन्हे कदम आज कुछ आगे है बढ़ते,
क्या छोड़ जायेगा इनका हाथ यूँही चलते - चलते ?
क्या कसूर था इनका, पापा अब किस को पुकारे ये तोह बता जाते।
राह है बोहत लम्बी, अब कैसे मिलेगी फिर से ये ख़ुशी ?
तेरे बिना हर इक लम्हा है बोहत मुश्किल,
तू चला गया ये जान कर रह पायेगी क्या इसकी हंशी ?
जिस केः साथ सात-फेरे है लिए, जीवन भर का साथ नहिभाने केः वादे है किये,
ऐसे मुँह मोड़ कर चला जायेगा बिना कुछ कहे ?
ना जाने कौन से तत्व से माँ ने तुझे बनाया है,
कौन सी गोली कब कहाँ लग जाये तुझे ,यह कोई नहीं जान पाया है ।
दूर है तू अपनी माँ से आज पर मुस्कुराते रहना,
इन सब रिश्तो को एक बार पीछे मूड कर जरूर है देखना ।
चमकते रहते है हमारे घर के दिये ,
पर बुझ जाते है कुछ माँ के चिराग हमेशा के लिए ।
अमर हो जाते है धरती माँ के बेटे,
पर उनसे पूछे सवाल आज भी है कुछ रहते...।